अकबर हार गया | Akbar Birbal Story in Hindi

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एक सुबह, अदालत हमेशा की तरह इकट्ठी हुई। सभी दरबारी अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे। इसके तुरंत बाद बादशाह आ गए, लेकिन बीरबल की सीट अभी भी खाली थी। अकबर ने कुछ मिनट तक बीरबल का इंतजार किया, लेकिन बीरबल नहीं आये। ‘यह है अजीब है,’अकबर ने सोचा। ‘बीरबल को दरबार में कभी देर नहीं होती।’ कुछ देर और इंतजार करने के बाद अकबर ने भेजा बीरबल के घर एक दूत। 

अकबर-बीरबल की कहानियां - 40 से अधिक हिंदी कहानियां

बीरबल ने दूत से कहा कि वह आ रहा है कुछ ही मिनटों में। दूत बीरबल का संदेश लेकर वापस आया।  दरबार ने कुछ देर और इंतज़ार किया, लेकिन बीरबल कहीं नज़र नहीं आया। अब अकबर को क्रोध आने लगा। उसने दूसरा दूत बीरबल के पास भेजा और बताया उसे इस बार अपने साथ लाने के लिए। ‘बादशाह तुमसे बहुत नाराज़ हैं! कृपया तुरंत मेरे साथ आएं!

दूत ने बीरबल से कहा। बीरबल को पता था कि यदि उसने दूत को वापस भेज दिया फिर से, सम्राट दूत को दंडित कर सकता है। अतः वह दूत के साथ चला गया।

दरबार में अकबर काफी क्रोधित था। उन्होंने बीरबल से पूछा, ‘क्या हुआ बीरबल? आप मेरे आदेशों की अनदेखी क्यों कर रहे थे?’ बीरबल ने उत्तर दिया, ‘मेरे जहाँपनाह, मैं आपके आदेशों की अनदेखी नहीं कर रहा था। मैं तैयार हो गया था सुबह ही अदालत में आना था, लेकिन जैसे ही मुझे निकलना था, मेरी सबसे छोटा बेटा रोने लगा. इसलिए मुझे उसे शांत करना पड़ा. इसलिए मुझे देर हो गई.’ ‘बीरबल, तुम यहाँ किसे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हो? इसे रोकने में इतना समय नहीं लग सकता ‘बच्चा रोने से!’ अकबर ने कहा, अभी भी गुस्सा है। ‘मैं सच कहता हूं, बादशाह। आइए मैं आपको इसे समझाता हूं। जब मैं निकलने वाला था घर, बच्चा रोने लगा। मैंने उससे पूछा कि वह क्यों रो रहा है। उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और रोता रहा. तो मैंने कुछ देर तक उसे थपथपाया, फिर कुछ देर तक उसके साथ खेला। फिर जैसे ही मैं घर से बाहर निकलने लगा, वह फिर से रोने लगा।’ ‘क्या किसी बच्चे को रोना बंद कराना वाकई इतना मुश्किल है?’ अकबर ने कहा, फिर भी 

अकबर हार गया

एक सुबह, अदालत हमेशा की तरह इकट्ठी हुई। सभी दरबारी अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे। इसके तुरंत बाद बादशाह आ गए, लेकिन बीरबल की सीट अभी भी खाली थी।

अकबर ने कुछ मिनट तक बीरबल का इंतजार किया, लेकिन बीरबल नहीं आये। ‘यह अजीब है,’ अकबर ने सोचा। ‘बीरबल को दरबार में कभी देर नहीं होती।’

कुछ देर और इंतजार करने के बाद अकबर ने भेजा बीरबल के घर एक दूत। बीरबल ने दूत से कहा कि वह कुछ ही मिनटों में आ रहा है। दूत बीरबल का संदेश लेकर वापस आया। दरबार ने कुछ देर और इंतज़ार किया, लेकिन बीरबल कहीं नज़र नहीं आया।

अब अकबर को क्रोध आने लगा। उन्होंने बीरबल के पास दूसरा दूत भेजा और कहा कि इस बार उसे भी साथ ले आओ।

‘बादशाह तुमसे बहुत नाराज़ हैं! कृपया तुरंत मेरे साथ आएं!’

दूत ने बीरबल से कहा। बीरबल को पता था कि यदि उसने दूत को वापस भेज दिया फिर से, सम्राट दूत को दंडित कर सकता है। अतः वह दूत के साथ चला गया।

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