एक जंगल में भोलू नाम का एक मूर्ख गधा रहता था। एक दिन, जंगल में घूमते समय, भोलू को एक शिकारी द्वारा छोड़ी गई शेर की खाल मिली। उसके मन में एक शरारती विचार आया। “अगर मैं खुद को यह खाल पहनूं, तो बाकी सभी जानवर सोचेंगे कि मैं शेर हूं और मुझसे डरेंगे! तब मैं उन्हें आदेश दे सकता हूं और कुछ मजा कर सकता हूं।”
खुशी-खुशी भोलू ने शेर की खाल पहन ली और जोर-जोर से दहाड़ते हुए जंगल में घूमने लगा। उसे देखते ही सभी जानवर ‘शेर’ से भयभीत होकर भाग गए। भोलू अपनी चालाक योजना से रोमांचित था। “देखो, मुझे पता था कि यह काम करेगा! अब हर कोई मुझसे डरता है और मैं जंगल का राजा बन सकता हूँ!”
कुछ देर बाद भोलू एक झील पर पहुंचा जहां कुछ बकरियां शांति से चर रही थीं। शेर की खाल में भोलू को देखते ही बकरियां डर से कांपने लगीं।
भोलू ने हँसते हुए कहा, “नमस्कार छोटी बकरियों, डरो मत! यह सिर्फ मैं हूँ, भोलू गधा एक चाल खेल रहा है।”
लेकिन बकरियां पहले से ही बहुत डरी हुई थीं और जोर-जोर से मिमियाते हुए भाग गईं।
भोलू ने सोचा, “मैं उन्हें मनोरंजन के लिए कुछ और डराता हूँ।” वह बकरियों को पकड़ने के लिए उनकी ओर सरपट दौड़ने लगा। लेकिन भारी शेर की खाल ने उस पर बोझ डाल दिया और वह लड़खड़ा कर ज़ोर से ज़मीन पर गिर पड़ा।
बकरियों को तुरंत एहसास हुआ कि यह सिर्फ एक मूर्ख गधा था और वे भाग गईं। भोलू को अपनी मूर्खता पर शर्म महसूस हुई। वह समझ गया कि केवल शेर की तरह कपड़े पहनने से वह शेर जैसा नहीं बन सकता। अपने सच्चे स्व को स्वीकार करना और अपनी क्षमताओं के भीतर रहना बेहतर है।
कहानी का उपदेश है – ऐसा कुछ होने का दिखावा मत करो जो तुम नहीं हो। दूसरों की नकल करने के बजाय अपनी पहचान और प्रतिभा के प्रति सच्चे रहें। चतुर भेषधारी भी आपके वास्तविक स्वरूप को अधिक समय तक छिपा नहीं सकते।