राजा का श्राप: Bhoot Ki Kahani – Hindi Horror Story: राजा का अभिशाप: यह उन लोगों के एक समूह के बारे में कहानी है जिन्हें एक प्रतिशोधी राजा ने शाप दिया है। अभिशाप उन्हें ज़ोंबी में बदल देता है, और वे उग्र हो जाते हैं, और अपने रास्ते में आने वाले सभी लोगों को मार डालते हैं।
गहरे जंगलों से घिरी एक छोटी सी राजधानी थी, जिसके महल की चादर बहुत कायर रहस्यों से ढंकी थी। यहाँ तात्कालिकता और असलीता के बीच का संघर्ष सदैव महसूस होता था। रात्रि के काले अंधेरे में, इस महल में एक भयानक शाप का असर महसूस होता था, जिससे राजा व उसके लोगों के दिल में बयानक भय उत्पन्न होता था। रोजाना वहाँ लगातार रहस्यमय आवाज़ सुनाई देती थी, जो सबके होश उड़ा देती थी। इस रहस्यमय आवाज़ के कारण लोग इसे भूतिया राजा के श्राप के अंदर रखा करते थे।
एक दिन, राजा के दरबार में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे। राजा बहुत बड़े राजस्वल्य से भरी राजधानी के शासक थे। उनकी कथायों और विशेषज्ञता के कारण वे विख्यात थे। इसलिए, राजा के दरबार में गर्व से बढ़े व शानदार व्यक्तित्व वाले लोग आए थे।
अचानक, एक विचित्र आवाज़ राजा के दरबार में उठी, “राजा जी, आपको भयंकर दु:ख का सामना करना पड़ेगा।” इस आवाज़ का राजधानी के सभी कोनों में गूंज रहा था।
राजा बिल्कुल अचंभित हो गए और बोले, “तुम कौन हो? और इतनी भयानक बात क्यों कर रहे हो?”
आवाज़ फिर से बोली, “मैं एक भूत हूँ, राजा! आपके किसी दोषी कारण मैं भूत बन गया हूँ। मुझे और मेरे साथी भूतों को इस महल में रहने की अनुमति नहीं है। हम इस जगह से जाने के लिए यहाँ आए हैं।”
राजा ने आकर्षित होकर कहा, “मैंने कभी किसी भूत का अपमान नहीं किया है। मुझे माफ करो। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।”
भूत ने देखा कि राजा की भावना और संवेदनशीलता सच्ची है। उसने राजा की मदद से धन्यवाद किया और उस समय महल से निकल पड़ा।
परंतु, राजा के दरबार के द्वार से बाहर निकलते समय, एक दुर्गंध सुस्पष्ट रूप से उसके साथ हो रही थी। राजा ने इसको नजरंदाज किया और अपने कार्य को आगे बढ़ाया।
जब राजा रात को अपने महल की ओर लौट रहे थे, तो एक राजकुमार ने उनसे कहा, “बादशाह जी, कृपया सतर्क रहें। मुझे लगता है कि भूत ने आपके साथ कुछ शर्मनाक खेल खेला है।”
राजा ने कहा, “कुछ भी नहीं, मेरे बेटे। मैं तो उसकी मदद कर रहा था। उसे और उसके साथी भूतों को दरबार में आने की अनुमति दी थी।”
राजकुमार ने बेहोश होते हुए कहा, “राजा जी, आपने भूतों को दरबार में आने की अनुमति क्यों दी? आपको तो पता था कि भूत धैर्य रखने वाले और दयालु होते हैं।”
राजा ने हँसते हुए कहा, “हां, तुम सही कह रहे हो। मैंने अपनी भूख से नहीं बल्कि दया से उन्हें दरबार में आने की अनुमति दी थी।”
राजकुमार बेहोश हो जाते हैं। जब उन्हें होश आया, तो उन्होंने राजा से कहा, “पिताजी, कृपया भयंकर भूतिया राजा के श्राप से बचने के लिए सतर्क रहें। उन्होंने हम पर भी अपना श्राप लगा दिया है। यदि हम उसे खुश नहीं करते हैं, तो हम भी भूत बन जाएंगे।”
राजा को एकदम समझ में आया कि वह राजकुमार सही कह रहे हैं। वह तत्काल भूतों की मदद से इस अबिचारक राजा का श्राप खत्म करने का निर्णय लेते हैं।
अगले दिन, राजा के दरबार में राजकुमार ने राजा के लिए एक चाय की पानी की बोतल लेकर आया। राजा ने बोतल को पीने के लिए हाथ बढ़ाया, तो राजकुमार ने उसे रोक दिया और कहा, “पिताजी, इस पानी की जगह एक दवा की बोतल है।”
राजा अचंभित हो गए और पूछा, “यह कौन सी दवा है?”
राजकुमार ने कहा, “यह एक विशेष दवा है, जो भूतों के श्राप को खत्म करती है। आपको इसे पीना होगा, और भूतों के दरबार में जाने से पहले भगवान के सामने इसे छिड़क देना होगा।”
राजा ने दवा की बोतल पी ली और धीरे से भूतों के दरबार की ओर बढ़ते हुए कहा, “भगवान की कृपा से, मेरे प्रिय भूतों, मैं तुम्हारे श्राप से मुक्त होने के लिए तैयार हूँ।”
भूतों की आंखों में अचानक दर्द देखकर राजा विचलित हो गए। उसका दिल दर्द से बह रहा था। उसने धीरे से दवा की बोतल को छिड़क दिया और भूतों के सामने धीरे से बोला, “मेरी क्षमता के अनुसार, मैं तुम्हें आज से मुक्त करता हूं। तुम सब आज से इस जगह को छोड़कर जा सकते हो।”
राजा के श्राप से राजकुमार के साथी भूतों को रहते हुए खुशी हुई। उन्होंने राजा को धन्यवाद दिया और धीरे से वहाँ से चले गए।
अब राजा की राजधानी में वह भयानक शाप की आवाज़ नहीं सुनाई देती थी। राजा और उसके लोग अपने जीवन को खुशहाली से जीने लगे। उन्होंने भूतों के श्राप से बचकर एक नए जीवन की शुरुआत की।